बिहार आर्थिक अपराध इकाई की बड़ी करवाई,अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट से जुड़े साइबर फ्रॉड गिरोह (SIM बॉक्स) का भंडाफोड़,मुख्य सरगना सहित 6 गिरफ्तार।।



पटना:-बिहार आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की साइबर विंग ने दूरसंचार विभाग (भारत सरकार) के सहयोग से एक बड़े साइबर अपराध सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए, SIM बॉक्स के माध्यम से देशव्यापी धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह के मुख्य सरगना सहित कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई बिहार के सुपौल, वैशाली और अन्य जिलों में की गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय संबंधों वाले एक बड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा किया है।


इस कार्रवाई में सुपौल पुलिस एवं वैशाली पुलिस के द्वारा भी तत्परता से सहयोग प्रदान किया गया है।


मामले का विस्तृत विवरणः


आर्थिक अपराध इकाई बिहार की साइबर विंग ने प्राप्त सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक नैयर हसनैन खान के निर्देशन में, पुलिस उप महानिरीक्षक साइबर संजय कुमार के मार्गदर्शन में आर्थिक अपराध इकाई की अभियान दल के DSP पंकज कुमार के नेतृत्व में एक SIT का गठन किया गया था। उक्त SIT ने कल सुबह सुपौल के गौसपुर से हर्षित कुमार को गिरफ्तार किया है। हर्षित के पास से 8 SIM बॉक्स डिवाइस और सैकड़ों की संख्या में प्रमाणित, उपयोग किए गए और अनुपयोगी SIM कार्ड, कई बैंकों के पासबुक, atm card, credit card इत्यादि बरामद किए गए हैं।


जांच में सामने आया कि 21 वर्षीय हर्षित कुमार इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है। वह फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से चीनी, वियतनाम, कंबोडिया एवं अन्य देश के नागरिकों के संपर्क में आया और उनके टेलीग्राम ग्रुप में शामिल हो गया। इन सरगनाओं ने उसे SIM बॉक्स चलाने के लिए पैसे का लालच दिया। हर्षित ने वियतनाम से 4 और चीन से 4 SIM बॉक्स डिवाइस प्राप्त किए।


इन sim box के माध्यम से इस गिरोह के द्वारा एक समानांतर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था। जिसमें कंबोडिया, थाईलैंड, एवं अन्य देशों में अवस्थित साइबर स्कैम के अड्डों से साइबर धोखाधड़ी एवं फ्रॉड हेतु प्रारंभ हो रही VOIP calls को लोकल GSM कॉल्स में अवैध रूप से रूपांतरण कर देश के विभिन्न हिस्सों के नागरिकों से साइबर धोखाधड़ी की जा रही थी।


प्रारंभिक जांच के अनुसार, इन SIM बॉक्सों के माध्यम से 10,000 से अधिक फर्जी कॉल एक दिन में ही किए जा रहे थे, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था। इससे दूरसंचार विभाग भारत सरकार को भारी राजस्व की क्षति हो रही थी जिसका आंकलन किया जा रहा है।


SIM कार्ड की आपूर्ति का नेटवर्क:


SIM बॉक्स चलाने के लिए बड़ी संख्या में अवैध SIM कार्ड की आवश्यकता थी। हर्षित ने इसके लिए पाकुड़, झारखंड के सुमित शाह नामक अपराधी से संपर्क किया। सुमित शाह, मार्च महीने से हर्षित को लगभग 1000 SIM कार्ड की आपूर्ति कर चुका था। सुमित शाह स्वयं सुल्तान नामक व्यक्ति से SIM कार्ड लेता था, और सुल्तान ने हर्षित को लगभग 400 SIM कार्ड उपलब्ध कराए थे। हर्षित और सुल्तान की मुलाकात हाजीपुर में कई बार हुई थी।जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि SIM आपूर्तिकर्ता (सप्लायर) टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर (TSP) के डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ मिलीभगत करते थे। गिरफ्तार मोहम्मद सुल्तान एक कॉमन सर्विस सेंटर का संचालक है। वह कई फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभार्थी बनाने का झांसा देकर, गांव गांव में कैंप लगाता था एवं आम जनता का बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करते था और इस बायोमेट्रिक डेटा का टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के पंजीकृत डिस्ट्रीब्यूटर एव रिटेलर्स से मिलीभगत कर आम व्यक्तियों की बायोमेट्रिक पहचान के आधार पर बड़ी संख्या में SIM कार्ड हासिल करते थे और तत्पश्चात इन सिम कार्ड का उपयोग sim box के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी हेतु किया जाता था।


गिरफ्तारियां और आगे की जांच:


इस मामले में कुल छह आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं:


हर्षित कुमार (मुख्य सरगना)


मोहम्मद सुल्तान (CSC संचालक)


चार पॉइंट ऑफ सेल (POS) संचालनकर्ता


सुमित शाह, रामपुर हाट रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिले, पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया है और वर्तमान में वहीं न्यायिक हिरासत में है। उसकी विस्तृत जानकारी ई-प्रिजन सिस्टम से प्राप्त की गई है।


पूछताछ के क्रम में अन्य CSC संचालकों, TSP डिस्ट्रीब्यूटर्स की संदिग्ध गतिविधि की जानकारी सामने आई है। जांच के दौरान अन्य संदिग्धों और ठिकानों का भी पता चला है जिस पर छापामारी की जा रही है।


अभी तक के विश्लेषण में इस गिरोह के उद्भेदन से NCRP पोर्टल पर प्रतिवेदित देश के विभिन्न हिस्सों में कुल 18 मामलों में संलिप्तता पाई गई है और इसकी संख्या में आगे बढ़ोत्तरी होने की प्रबल संभावना है।


इस गिरोह के तार पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गोआ, कर्नाटक, दिल्ली, उड़ीसा, झारखंड राज्यों एवं UAE, Cambodia, thailand, Hongkong, China, Vietnam, UK और germany इत्यादि से जुड़ा होना पाया गया है।


भारी मात्रा में crypto currency


के लेन देन का साक्ष्य भी पाया गया है एवं दो crypto एक्सचेंज पर उक्त सरगना के अकाउंट पाए गए हैं। जिनके संबंध में अग्रतर कार्रवाई की जा रही है।


वित्तीय पहलुओं पर कार्रवाई:


गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पैन, बैंक खातों और आधार विवरण एकत्र कर लिए गए हैं। सभी संदिग्ध लेनदेन का विवरण प्राप्त करने के लिए संबंधित से पत्राचार किया जा रहा है।


यह कार्रवाई साइबर अपराध के खिलाफ बिहार पुलिस की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और भविष्य में इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आगे की जांच जारी है और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों और नेटवर्क का पता लगाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।।

  

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