आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के बागी नेताओं का गढ़ बनेगा तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल


कौन है तेज प्रताप यादव का पावर बैंक, आखिर किसके बूते भाई तेजस्वी यादव के खिलाफ छेड़ दी इतनी बड़ी जंग


 बिहार की राजनीति में तेज प्रताप यादव लगातार हलचल मचाए हुए हैं। चर्चा है कि तेज प्रताप के पीछे एक ताकतवर राजनीतिक पार्टी का हाथ है। जानिए इस खबर में ये पूरी कहानी...


पटना से ब्यूरो चीफ अजय शंकर की रिपोर्ट




पटना: पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव विधानसभा चुनाव 2025 को ले कर अब गंभीर दिखने लगे हैं। एक तयशुदा गति के साध जीत के समीकरण साधने का जुगाड़ भी कर रहे हैं। इनके अंदाज में थर्ड फ्रंट की नीति भी शामिल है। पर यह तभी संभव है जब AIMIM या बसपा जैसी पार्टियों का साथ मिल जाए। ऐसा होता है तो बिहार विधानसभा 2025 चुनाव में तेज प्रताप यादव भी एक फैक्टर साबित हो सकते हैं। एक बात तो तय है कि इस चुनाव में इनके खाते में प्लस कितना आता है, यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन तेज प्रताप महागठबंधन को तो नुकसान पहुंचा ही सकते हैं।





कौन है तेज प्रताप का पावर बैंक?



राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि तेज प्रताप यादव के पीछे एक सशक्त राजनीतिक दल का हाथ है। गौर करें तो तेज प्रताप का पार्टी से और परिवार से निकाले जाने का कारण बहुत ही निजी है। तेज प्रताप के प्रेम प्रसंग और उनके अंतरंग संबंध जब मीडिया के प्लेटफार्म पर रंग दिखाने लगे तो पार्टी के प्रमुख होने के कारण राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए निर्णय लेना जरूरी हो गया। चुप रहने से पार्टी और समाज में नुकसान साफ दिख रहा था। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के इस निर्णय में मजबूरी भी साफ दिख रही थी।



लालू परिवार में सबकी अपनी-अपनी महत्वाकांक्षा



हालांकि इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि परिवार में राजनीतिक महत्वाकांक्षा चरम पर है। तेज प्रताप को ही देखें तो मीसा भारती और रोहिणी आचार्य एक तरह से उनके समर्थन में ही उतर आईं हैं। इसका फायदा तेज प्रताप की पार्टी के उम्मीदवारों को एक लिमिट में ही सही लेकिन मिल सकता है। राजनीति संभावना का खेल होता है, यह सोच कर तेज प्रताप यादव ने सबसे पहले टीम तेज प्रताप यादव बनाया। फिर एक कदम आगे बढ़ते पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने बिहार विधानसभा की चुनावी जंग 2025 में नई पार्टी बना कर मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी का नाम जनशक्ति जनता दल रखा है। तेज प्रताप खुद भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने बहुत पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे बिहार विधानसभा 2025 का चुनाव महुआ से लड़ेंगे। महुआ की जनता पर विश्वास इतना कि उन्होंने कहा कि अगर कोई महुआ से चुनाव लड़ेगा तो जनता उसे हरा देगी।तेज प्रताप यादव ने राजद से अलग हो कर खुद को मजबूत करने के लिए पहले पार्टी बनाई और फिर गठबंधन की राजनीति का दामन थाम लिया। विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) शामिल हैं। अभी चुनाव की घोषणा भी नहीं हुई है, तेज प्रताप यादव ने AIMIM के सामने गठबंधन का प्रस्ताव देकर एक बड़ी बाजी खेल दी है। वैसे भी सीमांचल में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को पटखनी देने वाले ओवैसी बिहार की राजनीति में एक ताकत के साथ उभरे हुए हैं।




दांव पेंच भी शुरू



तेज प्रताप यादव ने चुनाव में उतरने के पहले ही यह घोषणा कर दी है कि जिस किसी को भी तेजस्वी यादव ने झटका दिया है उसका जनशक्ति जनता दल में स्वागत है। यह राजद के असंतुष्ट नेताओं के लिए एक प्लेटफार्म तैयार करने जैसा है।ऐसे में जिन राजद विधायकों का टिकट कटता है, उनके लिए तेज प्रताप यादव की पार्टी प्लेटफार्म बन सकती है। इसी नीति के तहत तेज प्रताप ने सबसे पहले ओवैसी की पार्टी को निमंत्रण दिया। ओनैसी पहले से ही राजद से नाराज चल रहे थे। उनके चार विधायकों को तोड़ लिया गया था। अब तो AIMIM ने भी नारा दिया कि चार का बदला चालीस से लेंगे। तेज प्रताप के द्वारा ऐसे नेताओं को खुला आमंत्रण देने के पीछे का राज है कि उनके पास पूरी की पूरी 243 विधान सभा सीटें बांटने को है और खुद के लिए उनके पास बहुत ज्यादा सीटों पर लड़ने की च्वॉइस भी नहीं है।



नुकसान तेजस्वी के सपनों का



तेज प्रताप के मोर्चा खोलने का नुकसान तो महागठबंधन को ही होगा। तेजस्वी यादव से नाराज नेता तेज प्रताप का साथ दे सकते हैं। एक बात ये भी जग जाहिर हो चुकी है कि दोनों भाइयों के बीच खाई गहरी हो गई है। ऐसे नेता जो तेजस्वी को नुकसान पहुंचाने की नीयत रखेंगे, वह तेज प्रताप के पास जा सकते हैं। यह एक सवाल जरूर है कि वे चुनाव जीत पाएंगे या नहीं, लेकिन वो महागठबंधन के उम्मीदवारों नुकसान तो पहुंचा ही देंगे। ऐसा इसलिए कि तेज प्रताप के पास भी एमवाई की ताकत है। और ऐसे में विधानसभा चुनाव, जहां हार जीत का अंतर काफी कम होता है, वह तो प्रभावित होता ही है। AIMIM का जुड़ना जनशक्ति जनता दल को काफी मजबूती दे जाएगा। इस चुनाव के लिए जनशक्ति जनता पार्टी वैसे उम्मीदवारों का भी सहारा बन सकती है जिन्हें किसी पहचान वाली पार्टी से टिकट नहीं मिलता है। ऐसे में साल 2025 का विधानसभा चुनाव निश्चित रूप से तेज प्रताप की राजनीतिक पहुंच का लिटमस टेस्ट साबित होगा।

  

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