बेगूसराय में गंगा ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन में मुंशी प्रेमचंद जयंती का आयोजन, मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में दिखता है कला एवं भाव का समावेश :- विधान परिषद सर्वेश कुमार


प्रशान्त कुमार ब्यूरो चीफ


 बेगूसराय:- गंगा ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन, रामजानपुर, बेगूसराय में हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती के अवसर पर "कहो कहानी प्रेमचंद की" विषय पर एक भव्य साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन व प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण से की हुई। मुख्य अतिथि व संस्थान के निदेशक सह एमएलसी सर्वेश कुमार ने कहा कि आज मुंशी प्रेमचंद जी की 145 वीं जयंती है। इतने वर्षों बाद भी प्रेमचंद जिंदा हैं। आखिर क्यों ? यह सवाल सबके मन में उठना चाहिए। ऐसा इसलिए कि प्रेमचंद यथार्थवादी थे। उन्होंने कहा कि दिखावटी जीवन की अपेक्षा हमें यथार्थ तथा सादगीपूर्ण जीवन जीना चाहिए। उनकी साहित्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के बाद प्रेमचंद ऐसे दूसरे साहित्यकार हैं जिन्होंने भाषा में कला एवं भाव का समावेश किया। उनकी रचनाएं आज भी लोगों के दिल को छू जाती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. कामायनी कुमारी ने अपनी भावनाओं को रखते हुए कहा कि अगर जिंदगी जीनी है तो सच के साथ जीना होगा। अपने विचार को रखते हुए उन्होंने कहा कि भाषा प्रेमियों को प्रेमचंद की रचनाओं को पढ़नी चाहिए और उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके विचार जिंदा रहे इसलिए हम उनकी जयंती मनाते हैं।

विशिष्ट अतिथि पीजीआईएमएस (GGIMS) के प्राचार्य डॉ. सुधा कुमारी झा कहा कि प्रेमचंद की तरह ही हमलोग को भी उभरना होगा और अपनी जिंदगी जीनी होगी है। कार्यक्रम के संचालन रौशन कुमार और प्रीति कुमारी ने बेहद प्रभावशाली ढंग से किया। सभी प्रशिक्षुओं ने प्रेमचंद जी के विचारों और कृतित्व पर आधारित भाषण, कविता पाठ और कहानी वाचन प्रस्तुत किए। गौरव कुमार ने प्रेरणादायक भाषण प्रस्तुत किया। सौरभ कुमार ने सामाजिक यथार्थ पर आधारित कविता सुनाई।

अदिति कुमारी ने भाषण व कविता पाठ दोनों प्रस्तुत कर सभी को प्रभावित किया। पूजा प्रिया, शिवम् कुमार व प्रीति कुमारी ने भी अपने भावपूर्ण वक्तव्यों से कार्यक्रम को ऊँचाई प्रदान की। शिवम् और सोनू ने इस कार्यक्रम में छायांकन कार्य बख़ूबी से निभाया। प्रो. डॉ अंजली कुमारी, प्रो. सुधाकर पांडेय,  डॉ. राजवंत सिंह,ने प्रेमचंद क प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. विपिन कुमार ने  कहा कि प्रेमचंद की कहानी में यथार्थवादी विचारों की झलक ही उनकी  कहानियों को जीवन देती है और उसमें स्थापित विचार को जीवंत बनाती हैं और उन्होंने वास्तविक में जीने की बात कही। इस अवसर पर संस्था के सभी प्राध्यापक और शिक्षकेतर कर्मचारी एवं(2024-26) के प्रशिक्षु उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रेमचंद की कहानियों और विचारों के माध्यम से सामाजिक चेतना व नैतिक मूल्यों का सुंदर संप्रेषण हुआ। जिसे सभी ने सराहा।

  

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