धौनी दुर्गा स्थान मंदिर परिसर में भागवत कथा का तीसरा दिन हुआ आयोजन।

विश्वमोहन कुमार विधान

सच्चा भक्त वहीं है जो सिर्फ भगवान को ही चाहता है। 

भगवान से संसार की कोई वस्तु नहीं मांगता स्वर्ग लोक के दिव्य भोग सुखों को भी तुच्छ और हेय समझता है यहां तक कि मुक्ति को भी ठोकर मार देता है प्रभु के निष्काम भक्त को जिस परम शांति और परम आनंद का अनुभव होता है वह संसार के लोगों को चाहने वाले मनुष्य को कभी भी मिल सकता। उक्त विचार ब्रह्मलीन संत पथिक जी महाराज परम शिष्य हरिद्वार से पधारे प्रसिद्ध कथा व्यास स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने महिला सत्संग समिति तारापुर के धौनी दुर्गा स्थान परिसर में आयोजित सातदिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन बुधवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुद्धिमान मनुष्य को बचपन से ही ईश्वर की भक्ति में लग जाना चाहिए क्योंकि कि यह जीवन क्षणभंगुर और नाशवान है कब किसकी कहां मृत्यु हो जाय यह कोई नहीं जानता है ध्रुव और प्रहलाद आदि भक्तों में बचपन में ही ईश्वर की आराधना की थी।भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए सुबोधानंद जी महाराज ने कहा कि उनका मन नित्य निरंतर में ही लगा रहता  था।उन्हें सदा सर्वदा सब में भगवान का दर्शन होता रहता था। प्रहलाद जी के जैसा भक्त जिस कुल में जन्म लेता है उस कुल की एक्कीस पीढ़ियां तर जाती है। कथा के अन्त में भगवान विष्णु के वामन अवतार की झांकी निकाली गई।इस अवसर पर धौनी एवं तारापुर क्षेत्र के सैकड़ों महिला एवं पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।

  

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