एचपीवी वैक्सीन से सर्वाइकल कैंसर का होगा निदान चलेगा जन जागरुकता अभियान

रिपोर्ट - मलय कुमार झा


पूर्णियां

भागदौड़ भरी जिंदगी बदलती जीवनशैली में महिलाओं में स्तन कैंसर के साथ सर्वाइकल कैंसर की समस्या बढ़ती जा रही है। जन जागरूकता की कमी के कारण महिला कैंसर रोगी खुलकर अपनी बातों को नहीं रख पाती हैं।‌ इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए एचपीवी टीका का ईजाद किया गया है। जो 9 साल से 14 साल की बच्चियों को दिया जाएगा। छह महीने के अंतराल पर दो बार दवा दी जाएगी।किशोरियों के स्वास्थ्य और बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के बढ़ रहे खतरे को देखते हुए  यूनिसेफ बिहार और 

राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्णियां में प्रमंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें सर्वाइकल कैंसर की समस्या, इसके निदान के लिए टीकाकरण अभियान और जन जागरूकता में मीडिया की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई। सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग वैक्सीनेशन इस रोग  के प्रति सामूहिक जागरूकता और सकारात्मक सोच के साथ खबरों को आमजनों तक पहुंचना इस वर्कशॉप का प्रमुख उद्देश्य था। यूनिसेफ के डॉक्टर अंशुमन ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर कुछ तरह के एचपीवी के लगातार बने रहने वाले संक्रमण के कारण होता है जो पूरी तरह रोके जाने योग्य है।  इसके लिए सामूहिक जागरूकता की जरूरत है। उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से सर्विक्स में होता है। सभी मामले एचपीवी वायरस से जुड़े हैं। जानकारी देते हुए कहा कि साल 2022 में देश में 79,103 मामले सामने आए जिसमें 34,805 रोगियों की मौत हो गई। नियमित स्क्रीनिंग से समय पर इस बीमारी की पहचान कर वैक्सीन द्वारा इसे रोका जा सकता है। कार्यक्रम में यह भी चर्चा हुई कि एचपीवी वैक्सीन किशोर स्वास्थ्य और महिलाओं की स्क्रीनिंग को लेकर समाज में कई तरह की गलतफहमी कायम है। विशेषज्ञों ने बताया कि शिक्षक अभिभावक समुदाय और मीडिया के सहयोग से इन भ्रांतियों को तोड़ा जा सकता है। इस मौके पर यूनिसेफ के स्टेट कम्युनिकेशन अधिकारी डॉ पूजा ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों में जन जागरूकता फैलाना और टीकाकरण को प्रमोट करना है। उन्होंने कहा कि भरोसेमंद वैज्ञानिक आधार स्पष्ट जानकारी के साथ परिवार जब सही निर्णय लेंगे तो एचपीवी वैक्सीन बच्चियों को जीवन भर सुरक्षा दे सकती है। पूर्णिया के सिविल सर्जन पीके कनौजिया ने बताया कि यह बीमारी पूरी तरह रोकथाम के योग्य है टीकाकरण और समय पर जांच ही इसका सबसे प्रभावी समाधान है। इससे पहले भी टीकाकरण के कार्य किए गए हैं। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में एचपीवी टीका लगाना बांकी है। जिसमें मीडिया की अहम भूमिका हो सकती है ।

  

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