इथियोपिया के ज्वालामुखी के राख के गुब्बार से पटा दिल्ली एनसीआर का आसमान कई फ्लाइटें रद्द
- by Raushan Pratyek Media
- 25-Nov-2025
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पटना से ब्यूरो चीफ अजय शंकर की रिपोर्ट
पटना। कल्पना कीजिए, अफ्रीका के एक सूनसान रेगिस्तान में हजारों साल सोया हुआ ज्वालामुखी अचानक जाग उठे। आकाश में काला धुआं छा जाए, राख की मोटी चादर आसमान को ढक ले और वह राख हवा की सवारी करते हुए लाल सागर पार कर अरब प्रायद्वीप लांघे, फिर अरब सागर के ऊपर से गुजरते हुए उत्तर-पश्चिम भारत तक पहुंच जाए। यह कोई साइंस फिक्शन फिल्म का सीन नहीं, बल्कि वास्तविक घटना है। इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी में 10 से 12 हजार साल बाद 23 नवंबर 2025 को पहली बार विस्फोट हुआ, और इसकी राख दिल्ली की हवा में घुल गई। दूरी? लगभग 4000 किलोमीटर! यह राख हवाओं की तेज धारा पर सवार होकर भारत आई। आइए, इस रहस्यमयी यात्रा को विस्तार से समझते हैं।
ज्वालामुखी का जागना: एक प्राचीन राक्षस की कहानी
इथियोपिया का अफार क्षेत्र- दुनिया का सबसे गर्म और सूखा इलाका माना जाता है। यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ जाता है। यहां डानाकिल डेजर्ट में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी एक शील्ड ज्वालामुखी है, यानी ऐसा ज्वालामुखी जो चौड़ा और सपाट होता है, जैसे कोई बड़ा ढाल। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसकी आखिरी उत्तेजना होलोसीन काल (लगभग 12,000 साल पहले) में हुई थी, जब आखिरी हिमयुग खत्म हो रहा था।
23 नवंबर 2025 को सुबह करीब 8:30 बजे, यह ज्वालामुखी फट पड़ा। विस्फोट इतना जोरदार था कि राख और गैसों का एक विशालकाय गुब्बार 14-15 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंच गया- यानी एवरेस्ट से भी दोगुना ऊंचा! एक स्थानीय निवासी ने बताया- ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा बम फटा हो। धरती कांप गई, और धुआं-राख ने सब कुछ ढक लिया।" अफार क्षेत्र पहले से ही भूकंपों का शिकार है और यह ताजा विस्फोट अफ्रीकी रिफ्ट वैली का हिस्सा था, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स (पृथ्वी की परतें) अलग हो रही हैं। बता दें कि ग्रेट रिफ्ट वैली को 'अफ्रीका का घाव' कहा जाता है।
विस्फोट कुछ घंटों तक चला, लेकिन राख का बादल रुकने को तैयार नहीं। टूलूज वॉल्केनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) ने तुरंत चेतावनी जारी की। राख में सल्फर डाइऑक्साइड गैस भी थी, जो हवा को जहरीला बना सकती है। इथियोपिया में अभी तक कोई मौत नहीं हुई, लेकिन गांवों पर राख की परत जम गई, जिससे जानवरों को चारा कम पड़ गया। अब सवाल यह: यह राख इतनी दूर कैसे पहुँची?
हवा की सवारी: जेट स्ट्रीम का जादू
ज्वालामुखी की राख जमीन पर गिर सकती है, लेकिन जब यह इतनी ऊंचाई पर जाती है, तो यह हवाओं की कैद में हो जाती है। यहां आता है 'जेट स्ट्रीम' का रोल- यानी पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल (15-25 किलोमीटर ऊंचाई) में बहने वाली तेज हवाएं, जो 100-200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। ये हवाएं पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं, जैसे कोई हाईवे।
इस मामले में, उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम (सबट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम) ने राख को पकड़ लिया। मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वॉल्केनोलॉजिस्ट साइमन कार्न ने कहा कि राख पूर्व की ओर तेजी से फैल रही है, अरब सागर के ऊपर से उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है। राख की गति लगभग 130 किमी/घंटा थी। विज्ञान की सरल भाषा में कहें तो- ज्वालामुखी राख को 'लॉन्च' करता है और जेट स्ट्रीम उसे 'ट्रक' की तरह ढो ले जाती है। बिना हवा के, यह राख कभी 4000 किमी दूर न पहुंच पाती।
ऐसी घटनाएं नई नहीं। 2010 में आइसलैंड के एयाजाफजालजोकुल ज्वालामुखी की राख ने यूरोप के हवाई जहाजों को रोक दिया था। लेकिन यहां दूरी ज्यादा है- इथियोपिया से दिल्ली करीब 3800-4000 किमी दूर है। राख ने 24 घंटे से कम समय में यह सफर तय किया!
मैप से समझें पूरा भूगोल: राख की यात्रा का नक्शा
शुरुआत:
इथियोपिया के अफार क्षेत्र में हेली गुब्बी में विस्फोट हुआ, यह एरिट्रिया देश की सीमा पर है। यहां से राख ऊपर उठी।
पहला पड़ाव: लाल सागर पार (23 नवंबर शाम)- राख पूर्व की ओर बढ़ी, सऊदी अरब और यमन के ऊपर से गुजरी। दूरी: 500-600 किमी।
दूसरा पड़ाव: ओमान और अरब प्रायद्वीप (24 नवंबर सुबह)- राख ने ओमान के ऊपर से उड़ान भरी। यहां हवा की दिशा ने इसे अरब सागर की ओर मोड़ा।
तीसरा पड़ाव: अरब सागर और गुजरात (24 नवंबर दोपहर)- समुद्र के ऊपर से गुजरते हुए, राख ने पाकिस्तान के दक्षिणी हिस्से को छुआ। फिर भारत में एंट्री: गुजरात के पश्चिमी तट पर।
अंतिम मंजिल: राजस्थान-दिल्ली (24 नवंबर रात 11 बजे)- राख ने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र और दिल्ली-NCR को कवर किया। हिमालय की ओर भी बढ़ी राख।
भारत पर असर: हवाई जहाज रुके, हवा खराब
भारत में राख का पहला असर हवाई यात्रा पर पड़ा। डीजीसीए ने सभी एयरलाइंस को अलर्ट किया क्योंकि राख इंजन में चिपक सकती है।
- कोच्चि से दुबई और जेद्दा की दो फ्लाइट्स रद्द।
- केएलएम की एम्स्टर्डम-दिल्ली फ्लाइट कैंसल।
- इंडिगो, एयर इंडिया, अकासा एयर ने जेद्दा, कुवैत, अबू धाबी रूट्स रोके।
- मुंबई में इंटरनेशनल कैरियर्स ने पाकिस्तानी एयरस्पेस से रूट बदले।
हवा की क्वालिटी? दिल्ली की हवा पहले से ही 'बहुत खराब श्रेणी' थी, राख ने इसे और खराब किया। हालांकि यह 1-2 दिनों में साफ हो जाएगी।


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