डीएम ने किया लोक शिकायत के 10 मामलों की सुनवाई तथा समाधान



लोक शिकायत निवारण में लापरवाही के कारण धनरूआ के अंचल अधिकारी तथा गौरीचक थानाध्यक्ष के विरूद्ध एक-एक हजार रूपया का डीएम द्वारा लगाया गया दंड


बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम



पटना:-जिलाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में परिवादों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में दो लोक प्राधिकारों के विरूद्ध अर्थदंड लगाया गया। अंचल अधिकारी, धनरूआ तथा थानाध्यक्ष, गौरीचक के विरूद्ध एक-एक हजार रूपया का दंड लगाया गया।


डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 10 मामलों की सुनवाई की गई एवं उसका समाधान किया गया। 


दरअसल अपीलार्थी श्री अनुप किशोर एवं अन्य, ग्राम/शहर-पहाड़ी, डाक घर-लक्ष्मी नगर, प्रखंड-पटना सदर द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील में परिवाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत सरकारी भूमि को अतिक्रमण-मुक्त कराने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, धनरूआ द्वारा लोक शिकायत के निवारण हेतु कोई ईमानदार एवं सार्थक प्रयास नहीं किया गया है। उनका प्रतिवेदन भी संतोषजनक नहीं है। राजस्व से संबंधित पदाधिकारी का मूल दायित्व सरकारी भूमि को अतिक्रमण-मुक्त रखना है। अगर कहीं सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का मामला प्रकाश में आता है तो उन्हें स्वतः संज्ञान लेकर अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। इस मामले में आवेदक द्वारा सरकारी भूमि को अतिक्रमण-मुक्त कराने हेतु अनुरोध किया गया है। फिर भी अंचल अधिकारी के स्तर से कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गई। उनके द्वारा जमाबंदी रद्दीकरण प्रस्ताव भी अपर समाहर्त्ता के न्यायालय को नहीं दिया गया है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा भी लोक प्राधिकार के विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणी की गयी है। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकार के इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, धनरूआ के विरूद्ध भविष्य के लिए चेतावनी निर्गत करते हुए 1,000 रूपये का अर्थदंड लगाया गया। साथ ही एक सप्ताह के अंदर जमाबंदी रद्दीकरण प्रस्ताव नियमानुसार अपर समाहर्ता के न्यायालय में भेजने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी द्वारा कृत कार्रवाई प्रतिवेदन (एटीआर) के साथ सुनवाई की अगली तिथि 18 अगस्त को लोक प्राधिकार एवं सभी संबंधित पदाधिकारियों को सुनवाई में उपस्थित रहने का निदेश दिया गया। 


एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्री सच्चिदानंद सिंह, थाना-गौरीचक, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष द्वितीय अपील में परिवाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत मकान एवं जमीन को कब्जा-मुक्त करने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार थानाध्यक्ष, गौरीचक द्वारा पूर्व में दिए गए निदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। उन्हें पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने तथा स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ आज की सुनवाई में उपस्थित रहने का निदेश दिया गया था। परन्तु थानाध्यक्ष आज की सुनवाई से अनुपस्थित रहे। साथ ही उनके द्वारा पुराना प्रतिवेदन ही भेज दिया गया था। जिलाधिकारी ने कहा कि यह लोक प्राधिकार द्वारा लोक शिकायत के निवारण में अरूचि, संवेदनहीनता तथा शिथिलता को प्रदर्शित करता है। इन आरोपों के कारण थानाध्यक्ष, गौरीचक के विरूद्ध एक हजार रूपये का दंड लगाया गया। साथ ही थानाध्यक्ष एवं संबंधित अंचलाधिकारी को परिवादी की शिकायत का नियमानुसार निवारण करते हुए स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि 01 सितम्बर को सुनवाई में उपस्थित रहने का निदेश दिया गया। 


डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।


डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।।

  

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