मधुबनी-अयाची डीह विकास समिति द्वारा धूमधाम से मनाया गया अयाची शंकर महोत्सव

किशोर क़ुमार ब्यूरो 




किशोर क़ुमार ब्यूरो 


मधुबनी मे पंडौल प्रखंड के सरिसब पाहीं मे अयाची डीह विकास समिति द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सातवां अयाची शंकर महोत्सव धूमधाम से मनाया गया!गौरतलब हैं की सरिसब पाहीं स्थित अयाची डीह के परिसर मे सीएम नीतीश क़ुमार ने 9सितंबर 2017को प्रसिद्ध अयाची महा महोपाध्ययाय पंडित भवनाथ मिश्र के मूर्ति का अनावरण किया था!आपको बता दे की उसी वर्ष से अयाची डीह विकास समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष अयाची शंकर महोत्सव मनाया जा रहा हैं!बताते चले की सरिसब पाहीं मे एक विद्वान महा महोपाध्याय पंडित भवनाथ मिश्र प्रसिद्ध उपनाम अयाची मिश्र का अवतरण हुआ था!अपने उपनाम अयाची से ही वह काफी विख्यात हूए थे!कार्यक्रम की अध्यक्षता कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉक्टर देवनारायण झा ने किया वहीं मंच संचालन डॉक्टर अजित मिश्र ने किया!इस अवसर पर समिति के सचिव डॉक्टर संजीव क़ुमार झा ने बताया की अयाची डीह विद्वानों की धरती हैं!पंडित अयाची मिश्र निर्धन रहते हूए भी वह किसी से कुछ नहीं मांगते थे!उनके सम्मान मे महोत्सव मनाया जाता हैं!इस महोत्सव मे विद्वानों का जमघट लगता हैं और कई विषयों पर चर्चा की जाती हैं!उन्होंने बताया की यहाँ के लोगो मे ऐसी धारणा बनी हुई हैं की जब बच्चा कलम पकड़ता हैं तो उनके माता पिता अयाची डीह पर आकर प्रणाम करते हैं!यहाँ के मिट्टी का तिलक लगाते हैं की उनका बच्चा भी पंडित अयाची मिश्र जैसा बने!वहीं बेलाही निवासी समाजसेवी संतोष झा ने बताया की समाजसेवा मे रहने के बाद भी अयाची डीह से नहीं जुड़ पाया था!इस बार के महोत्सव मे हमें पहलीबार जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ हैं!उन्होंने बताया की अयाची डीह के विकास के लिए जो भी हमसे संभव होंगा हर समय मदद के लिए तैयार रहेंगे!इस मौके पर समाजसेवी संतोष झा,जिला परिषद सदस्य सईदा बानो,अयाची डीह विकास समिति के सचिव सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य डॉक्टर संजीव क़ुमार झा,जेएनयू दिल्ली के डोक्टर रामनाथ झा,पूर्व कुलपति रामचंद्र झा,डॉक्टर भीमनाथ झा,डॉक्टर लक्ष्मीं नाथ झा,मित्रनाथ झा,अयाची डीह विकास समिति के संयोजक राम बहादुर चौधरी,संरक्षक डॉक्टर जगदीश मिश्र,अध्यक्ष डॉक्टर अशर्फी कामत,बीडीओ,सीओ,कई प्रशानिक पदाधिकारी समेत कई गणमान्य लोगो की उपस्थिति रहीं!

  

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